
Holy Qurbana Malayalam
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Holy Qurbana Malayalam
Lectionary Theme: Coming of the Saviour
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Isaiah 11:1-9 First Lesson
1. यिशै के तने (वंश) से एक छोटा अंकुर (पुत्र) फूटना शुरु होगा। यह अब शाखा यिशै के मूल से फूटेगी।
2. उस पुत्र में यहोवा की आत्मा होगी। वह आत्मा विवेक, समझबूझ, मार्ग दर्शन और शक्ति की आत्मा होगी। वह आत्मा इस पुत्र को यहोवा को समझने और उसका आदर करने में सहायता देगी।
3. यह पुत्र यहोवा का आदर करेगा और इससे वह प्रसन्न होगा। यह पुत्र वस्तुएँ जैसी दिखाई दे रही होगी, उसके अनुसार लोगों का न्याय नहीं करेगा। वह सुनी, सुनाई के आधार पर ही न्याय नहीं करेगा।
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5. वह गरीब लोगों का न्याय ईमानदारी और सच्चाई के साथ करेगा। धरती के दीन जनों के लिये जो कुछ करने का निर्णय वह लेगा, उसमें वह पक्षपात रहित होगा। यदि वह यह निर्णय करता है कि लोगों पर मार पड़े तो वह आदेश देगा और उन लोगों पर मार पड़ेगी। यदि वह निर्णय करता है कि उन लोगों की मृत्यु होनी चाहिये तो वह आदेश देगा और उन दुष्टों को मौत के घाट उतार दिया जाएगा। नेकी और सच्चाई इस पुत्र को शक्ति प्रदान करेंगी। उसके लिए नेकी और सच्चाई एक ऐसे कमर बंद के समान होंगे जिसे वह अपनी कमर के चारों ओर लपेटता है।
6. उसके समय में, भेड़ और भेड़िये शांति से साथ—साथ रहेंगे, सिंह और बकरी के बच्चों के साथ शांति से पड़े रहेंगे। बछड़े, सिंह और बैल आपस में शांति के साथ रहेंगे। एक छोटा सा बच्चा उनकी अगुवाई करेगा।
7. गायें और रीछनियां शांति से साथ—साथ अपना खाना खाएंगी। उनके बच्चे साथ—साथ बैठा करेंगे और आपस में एक दूसरे को हानि नहीं पहुँचायेंगे। सिंह गायों के समान घास चरेंगे
8. और यहाँ तक कि साँप भी लोगों को हानि नहीं पहुँचायेंगे। काले नाग के बिल के पास एक बच्चा तक खेल सकेगा। कोई भी बच्चा विषधर नाग के बिल में हाथ डाल सकेगा।
9. ये सब बातें दिखाती हैं कि वहाँ सब कहीं शांति होगी। कोई व्यक्ति किसी दूसरे को हानि नहीं पहुँचायेगा। मेरे पवित्र पर्वत के लोग वस्तुओं को नष्ट नहीं करना चाहेंगे। क्यों क्योंकि लोग यहोवा को सचमुच जान लेंगे। वे उसके ज्ञान से ऐसे परिपूर्ण होंगे जैसे सागर जल से परिपूर्ण होता है।
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1 John 4:7-16 Second Lesson
7. हे प्यारे मित्रों, हम परस्पर प्रेम करें। क्योंकि प्रेम परमेश्वर से मिलता है और हर कोई जो प्रेम करता है, वह परमेश्वर की सन्तान बन गया है और परमेश्वर को जानता है।
8. वह जो प्रेम नहीं करता है, परमेश्वर को नहीं जान पाया है। क्योंकि परमेश्वर ही प्रेम है।
9. परमेश्वर ने अपना प्रेम इस प्रकार दर्शाया है: उसने अपने एकमात्र पुत्र को इस संसार में भेजा जिससे कि हम उसके पुत्र के द्वारा जीवन प्राप्त कर सकें।
10. सच्चा प्रेम इसमें नहीं है कि हमने परमेश्वर से प्रेम किया है, बल्कि इसमें है कि एक ऐसे बलिदान के रूप में जो हमारे पापों को धारण कर लेता है, उसने अपने पुत्र को भेज कर हमारे प्रति अपना प्रेम दर्शाया है।
11. हे प्रिय मित्रो, यदि परमेश्वर ने इस प्रकार हम पर अपना प्रेम दिखाया है तो हमें भी एक दूसरे से प्रेम करना चाहिए।
12. परमेश्वर को कभी किसी ने नहीं देखा है किन्तु यदि हम आपस में प्रेम करते हैं तो परमेश्वर हममें निवास करता है और उसका प्रेम हमारे भीतर सम्पूर्ण हो जाता है।
13. इस प्रकार हम जान सकते है कि हम परमेश्वर में ही निवास करते हैं और वह हमारे भीतर रहता है। क्योंकि उसने अपनी आत्मा का कुछ अंश हमें दिया है।
14. इसे हमने देखा है और हम इसके साक्षी हैं कि परम पिता ने जगत के उद्धारकर्त्ता के रूप में अपने पुत्र को भेजा है।
15. यदि कोई यह मानता है कि, “यीशु परमेश्वर का पुत्र है,” तो परमेश्वर उसमें निवास करता है और वह परमेश्वर में रहने लगता है।
16. इसलिए हम जानते हैं कि हमने अपना विश्वास उस प्रेम पर टिकाया है जो परमेश्वर में हमारे लिए है। परमेश्वर प्रेम है और जो प्रेम में स्थित रहता है, वह परमेश्वर में स्थित रहता है और परमेश्वर उसमें स्थित रहता है।
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Acts 3:19-26 Epistle
19. इसलिये तुम अपना मन फिराओ और परमेश्वर की ओर लौट आओ ताकि तुम्हारे पाप धुल जायें।
20. ताकि प्रभु की उपस्थिति में आत्मिक शांति का समय आ सके और प्रभु तुम्हारे लिये मसीह को भेजे जिसे वह तुम्हारे लिये चुन चुका है, यानी यीशु को।
21. “मसीह को उस समय तक स्वर्ग में रहना होगा जब तक सभी बातें पहले जैसी न हो जायें जिनके बारे में बहुत पहले से ही परमेश्वर ने अपने पवित्र नबियों के मुख से बता दिया था।
22. मूसा ने कहा था, ‘प्रभु परमेश्वर तुम्हारे लिये, तुम्हारे अपने लोगों में से ही एक मेरे जैसा नबी खड़ा करेगा। वह तुमसे जो कुछ कहे, तुम उसी पर चलना,
23. और जो कोई व्यक्ति उस नबी की बातों को नहीं सुनेगा, उनको पूरी तरह नष्ट कर दिया जायेगा।’
24. “हाँ! शमूएल और उसके बाद आये सभी नबियों ने जब कभी कुछ कहा तो इन ही दिनों की घोषणा की।
25. और तुम तो उन नबियों और उस करार के उत्तराधिकारी हो जिसे परमेश्वर ने तुम्हारे पूर्वजों के साथ किया था। उसने इब्राहीम से कहा था, ‘तेरी संतानों से धरती के सभी लोग आशीर्वाद पायेंगे।’
26. परमेश्वर ने जब अपने सेवक को पुनर्जीवित किया तो पहले-पहले उसे तुम्हारे पास भेजा ताकि तुम्हें तुम्हारे बुरे रास्तों से हटा कर आशीर्वाद दे।”
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John 1:14-18 Gospel
14. उस आदि शब्द ने देह धारण कर हमारे बीच निवास किया। हमने परम पिता के एकमात्र पुत्र के रूप में उसकी महिमा का दर्शन किया। वह करुणा और सत्य से पूर्ण था।
15. यूहन्ना ने उसकी साक्षी दी और पुकार कर कहा, “यह वही है जिसके बारे में मैंने कहा था, ‘वह जो मेरे बाद आने वाला है, मुझसे महान है, मुझसे आगे है क्योंकि वह मुझसे पहले मौजूद था।’”
16. उसकी करुणा और सत्य की पूर्णता से हम सबने अनुग्रह पर अनुग्रह प्राप्त किये।
17. हमें व्यवस्था का विधान देने वाला मूसा था पर करुणा और सत्य हमें यीशु मसीह से मिले।
18. परमेश्वर को कभी किसी ने नहीं देखा किन्तु परमेश्वर के एकमात्र पुत्र ने, जो सदा परम पिता के साथ है उसे हम पर प्रकट किया। (मत्ती