
Divine Service Malayalam
Worship Service
Lectionary Theme: Jesus Christ who Heals (Medical Mission Sunday)
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2 Kings 20:1-11 First Lesson
1. उस समय हिजकिय्याह बीमार पड़ा और लगभग मर ही गया। आमोस का पुत्र यशायाह (नबी) हिजकिय्याह से मिला। यशायाह ने हिजकिय्याह से कहा, “यहोवा कहता है, ‘अपने परिवार के लोगों को तुम अपना अन्तिम निर्देश दो। तुम जीवित नहीं रहोगे।’”
2. हिजकिय्याह ने अपना मुँह दीवार की ओर कर लिया। उसने यहोवा से प्रार्थना की और कहा,
3. “यहोवा याद रख कि मैंने पूरे हृदय के साथ सच्चाई से तेरी सेवा की है। मैंने वह किया है जिसे तूने अच्छा बतया है।” तब हिजकिय्याह फूट फूट कर रो पड़ा।
4. बीच के आँगन को यशायाह के छोड़ने के पहले यहोवा का सन्देश उसे मिला। यहोवा ने कहा,
5. “लौटो और मेरे लोगों के अगुवा हिजकिय्याह से कहो, ‘यहोवा तुम्हारे पूर्वज दाऊद का परमेश्वर यह कहता है: मैंने तुम्हारी प्रार्थना सुन ली है और मैंने तुम्हारे आँसू देखे हैं। इसलिये मैं तुम्हें स्वस्थ करूँगा। तीसरे दिन तुम यहोवा के मन्दिर में जाओगे
6. और मैं तुम्हारे जीवन के पन्द्रह वर्ष बढ़ा दूँगा। मैं अश्शूर के सम्राट की शक्ति से तुम्हें और इस नगर को बचाऊँगा। मैं इस नगर की रक्षा करूँगा। मैं अपने लिये औरअपने सेवक दाऊद को जो वचन दिया था, उसके लिये यह करूँगा।’”
7. तब यशायाह ने कहा, “अंजीर का एक मिश्रण बनाओ और इसे घाव के स्थान पर लगाओ।” इसलिए उन्होंने अंजीर का मिश्रम लिया और हिजकिय्याह के घाव के स्थान पर लगाया। तब हिजकिय्याह स्वस्थ हो गया।
8. हिजकिय्याह ने यशायाह से कहा, “इसका संकेत क्या होगा कि यहोवा मुझे स्वस्थ करेगा और मैं यहोवा के मन्दिर में तीसरे दिन जाऊँगा”
9. यशायाह ने कहा, “तुम क्या चाहते हो क्या छाया दस पैड़ी आगे जाये या दस पैड़ी पीछे जाये यही यहोवा का तुम्हारे लिये संकेत है जो यह प्रकट करेगा कि जो यहोवा ने कहा है, उसे वह करेगा।”
10. हिजकिय्याह ने उत्तर दिया, “छाया के लिये दस पैड़ियाँ उतर जाना सरल है। नहीं, छाया को दस पैड़ी पीछे हटने दो।”
11. तब यशायाह ने यहोवा से प्रार्थना की और यहोवा ने छाया को दस पैड़ियाँ पीछे चलाया। वह उन पैड़ियों पर लौटी जिन पर यह पहले थी।
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Acts 14:8-15 Second Lesson
8. लिस्तरा में एक व्यक्ति बैठा हुआ था। वह अपने पैरों से अपंग था। वह जन्म से ही लँगड़ा था, चल फिर तो वह कभी नहीं पाया।
9. इस व्यक्ति ने पौलुस को बोलते हुए सुना था। पौलुस ने उस पर दृष्टि गड़ाई और देखा कि अच्छा हो जाने का विश्वास उसमें है।
10. सो पौलुस ने ऊँचे स्वर में कहा, “अपने पैरों पर सीधा खड़ा हो जा!” सो वह ऊपर उछला और चलने-फिरने लगा।
11. पौलुस ने जो कुछ किया था, जब भीड़ ने उसे देखा तो लोग लुकाउनिया की भाषा में पुकार कर कहने लगे, “हमारे बीच मनुष्यों का रूप धारण करके, देवता उतर आये है!”
12. वे बरनाबास को “ज़ेअस” और पौलुस को “हिरमेस” कहने लगे। पौलुस को हिरमेस इसलिये कहा गया क्योंकि वह प्रमुख वक्ता था।
13. नगर के ठीक बाहर बने ज़ेअस के मन्दिर का याजक नगर द्वार पर साँड़ों और मालाओं को लेकर आ पहुँचा। वह भीड़ के साथ पौलुस और बरनाबास के लिये बलि चढ़ाना चाहता था।
14. किन्तु जब प्रेरित बरनाबास और पौलुस ने यह सुना तो उन्होंने अपने कपड़े फाड़ डाले और वे ऊँचे स्वर में यह कहते हुए भीड़ में घुस गये,
15. “हे लोगो, तुम यह क्यों कर रहे हो? हम भी वैसे ही मनुष्य हैं, जैसे तुम हो। यहाँ हम तुम्हें सुसमाचार सुनाने आये हैं ताकि तुम इन व्यर्थ की बातों से मुड़ कर उस सजीव परमेश्वर की ओर लौटो जिसने आकाश, धरती, सागर और इनमें जो कुछ है, उसकी रचना की।
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James 5:13-18 Epistle
13. यदि तुम में से कोई विपत्ति में पड़ा है तो उसे प्रार्थना करनी चाहिए और यदि कोई प्रसन्न है तो उसे स्तुति-गीत गाने चाहिए।
14. यदि तुम्हारे बीच कोई रोगी है तो उसे कलीसिया के अगुवाओं को बुलाना चाहिए कि वे उसके लिए प्रार्थना करें और उस पर प्रभु के नाम में तेल मलें।
15. विश्वास के साथ की गई प्रार्थना से रोगी निरोग होता है। और प्रभु उसे उठाकर खड़ा कर देता है। यदि उसने पाप किए हैं तो प्रभु उसे क्षमा कर देगा।
16. इसलिए अपने पापों को परस्पर स्वीकार और एक दूसरे के लिए प्रार्थना करो ताकि तुम भले चंगे हो जाओ। धार्मिक व्यक्ति की प्रार्थना शक्तिशाली और प्रभावपूर्ण होती है।
17. नबी एलिय्याह एक मनुष्य ही था ठीक हमारे जैसा। उसने तीव्रता के साथ प्रार्थना की कि वर्षा न हो और साढ़े तीन साल तक धरती पर वर्षा नहीं हुई।
18. उसने फिर प्रार्थना की और आकाश में वर्षा उमड़ पड़ी तथा धरती ने अपनी फसलें उपजायीं। एक आत्मा की रक्षा
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John 9:1-11 Gospel
1. जाते हुए उसने जन्म से अंधे एक व्यक्ति को देखा।
2. इस पर यीशु के अनुयायियों ने उससे पूछा, “हे रब्बी, यह व्यक्ति अपने पापों से अंधा जन्मा है या अपने माता-पिता के?”
3. यीशु ने उत्तर दिया, “न तो इसने पाप किए हैं और न इसके माता-पिता ने बल्कि यह इसलिये अंधा जन्मा है ताकि इसे अच्छा करके परमेश्वर की शक्ति दिखायी जा सके।
4. उसके कामों को जिसने मुझे भेजा है, हमें निश्चित रूप से दिन रहते ही कर लेना चाहिये क्योंकि जब रात हो जायेगी कोई काम नहीं कर सकेगा।
5. जब मैं जगत में हूँ मैं जगत की ज्योति हूँ।”
6. इतना कहकर यीशु ने धरती पर थूका और उससे थोड़ी मिट्टी सानी उसे अंधे की आंखों पर मल दिया।
7. और उससे कहा, “जा और शीलोह के तालाब में धो आ।” (शीलोह अर्थात् “भेजा हुआ।”) और फिर उस अंधे ने जाकर आँखें धो डालीं। जब वह लौटा तो उसे दिखाई दे रहा था।
8. फिर उसके पड़ोसी और वे लोग जो उसे भीख माँगता देखने के आदी थे बोले, “क्या यह वही व्यक्ति नहीं है जो बैठा हुआ भीख माँगा करता था?”
9. कुछ ने कहा, “यह वही है,” दूसरों ने कहा, “नहीं, यह वह नहीं है, उसके जैसा दिखाई देता है।” इस पर अंधा कहने लगा, “मैं वही हूँ।”
10. इस पर लोगों ने उससे पूछा, “तुझे आँखों की ज्योति कैसे मिली?”
11. उसने जवाब दिया, “यीशु नाम के एक व्यक्ति ने मिट्टी सान कर मेरी आँखों पर मला और मुझसे कहा, जा और शीलोह में धो आ और मैं जाकर धो आया। बस मुझे आँखों की ज्योति मिल गयी।”